रविवार, 3 अक्तूबर 2010

चपाती|

एक चपाती
प्यार लूटाती
गीत सुनाती
देखो आती

एक चपाती
नाच नचाती
रंग उड़ाती
देखो आती

एक चपाती
झंडा गाती
तोप झुकाती
देखो आती

एक चपाती
गद्दर मचाती
बिगुल बजाती
देखो आती

एक चपाती
क्रांति सिखाती
स्वप्न दिखाती
देखो आती
- उद्भ्रांत|

सात जन्मों की कमाई

लोग कहते हैं की बेटी पराई होती है
यह सुन सुनकर बेटी मुरझाई होती है
पर मैं कहती हूँ की बेटी ही घर की गरिमा है
और बेटा और बेटी दोनों हैं घर की शान
फिर दुनियावाले क्यों होते हो परेशान
क्या नहीं सुनी वीरकथा रानी लक्ष्मीबाई की
क्या याद नहीं दुर्गा इंदिरा का कमाल
जिसने दे दी एक नई मिशाल
फिर मन में है क्यूं शंका
की बेटी पराई होती है
बेटी तो सात जन्मों की कमाई होतीहै|
-अदिति की चहेती कविता

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