बुधवार, 30 नवंबर 2011

aage barho hunkaar bharo

खुदरा व्यापार में विदेशी प्रत्यछ   निवेश को लेकर अब चुप रहना अपने पैरों पैर कुल्हारी मरना होगा. पुरे देश में आन्दोलन की लहर चल पारी है. पूंजीवादी सम्रजयावादी शक्तियों ने यास्त इंडिया कंपनी की तरह गरीबों का हक़ मरना शुरू कर दिया है. भारत के हमारे हुक्मरान अमेरिका के सामने नतमस्तक हो गए हैं. वालमार्ट के खिलाफ पुरु दुनिया कोर्पोराते घरानों के घरों और दफ्दारों पैर कब्ज़ा करने को आतुर है. भारत में शाहक वर्ग की प्रमुख दोनों पार्टियाँ कांग्रेस व बीजेपी जनता के साथ धोखा कर रही है. ऐसी हालत में हमे न सिर्फ आगे बढ़ाने बल्कि  हुंकार भरने की जरूरत है.

रविवार, 20 नवंबर 2011

kabja kar lo

अमीरी और गरीबी के तुलनात्मक अध्यन से यह साफ हो गया है की एक तरफ मुठी भर लोग तहां खाते खाते नाहिया अघा रहें हैं वहीँ दूसरी तरफ भूख से मरनेवालों की संख्या रोज़ बढ़  रही है. दिनकर ने तो सालों पहले कह दिया था-स्वानों को मिलता दूध वस्त्र भूखे बचे अकुलाते हैं, माँ की हड्डी से चिपक ठिठुर जारे की रात बिताते हैं. पूरी दुनिया में शाषक वर्गों के खिलाफ जोरदार कब्ज़ा को आन्दोलन चल रहा है. भारत में भी इसकी गूंज सुनायी देनी चाहिए. इजारेदार तथा  पूंजीपति घरानों के दफ्तरों औए घरों को घेर कर उन्हें कब्ज़ा कर लेने के मुहीम जरूरी  है. हालाँकि यह आसान नहीं है. खुनी क्रांति को अंजाम देना पड़ेगा. आईये शुरूआत  तो करें.