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हल की तरह
कुदाल की तरह
या खुरपी की तरह
पकड़ भी लूं कलम को
तो भी फसल काटने को
मिलेगी नहीं हमको
हम तो ज़मीन ही तैयार कर पाएंगे
क्रांतिबीज बोने कुछ बिरले ही आयेंगे
हरा-भरा वही करेंगे मेरे श्रम को
सिलसिला मिलेगा आगे मेरे क्रम को
कल तब फसल उगेगी
कुदाल की तरह
या खुरपी की तरह
पकड़ भी लूं कलम को
तो भी फसल काटने को
मिलेगी नहीं हमको
हम तो ज़मीन ही तैयार कर पाएंगे
क्रांतिबीज बोने कुछ बिरले ही आयेंगे
हरा-भरा वही करेंगे मेरे श्रम को
सिलसिला मिलेगा आगे मेरे क्रम को
कल तब फसल उगेगी
न रहने पर भी हवा से इठलायेगी
तब मेरी आत्मा सुनहरी धुप बन बरसेगी
जिन्होंने बीज बोया था उन्ही के चरण पसरेगी
काटेंगे उसे जो फिर वही उसे बोयेंगे
हम तो कहीं धरती के नीचे दबे सोयेंगे
_सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
दुर्दशा
हम में से अधिकांश ने अपनी लेखनी को रंडी बना दिया है, जो पैसे के लिए किसी के भी साथ सो जाती है सत्ता इस लेखनी से बलात्कार कर लेती है और हम रिपोर्ट तक नहीं करते
तो जेल में होते
इस व्यवस्था में कोई भी अकेला नहीं खाता सब मिलकर खाते हैं- खानेवाले भी और पकड्नेवाले भी इसलिए वास्तविक बड़े भ्रष्टाचारी कभी नहीं पकड़े जायेंगे पकड़े जाने लगें, तो इस देश के तीन चौथाई मंत्री, सांसद और विधायक जेल में होंगे भला, लोकतंत्र का ऐसा नाश कौन देशभक्त करना चाहेगा?
जिन्होंने बीज बोया था उन्ही के चरण पसरेगी
काटेंगे उसे जो फिर वही उसे बोयेंगे
हम तो कहीं धरती के नीचे दबे सोयेंगे
_सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
दुर्दशा
हम में से अधिकांश ने अपनी लेखनी को रंडी बना दिया है, जो पैसे के लिए किसी के भी साथ सो जाती है सत्ता इस लेखनी से बलात्कार कर लेती है और हम रिपोर्ट तक नहीं करते
तो जेल में होते
इस व्यवस्था में कोई भी अकेला नहीं खाता सब मिलकर खाते हैं- खानेवाले भी और पकड्नेवाले भी इसलिए वास्तविक बड़े भ्रष्टाचारी कभी नहीं पकड़े जायेंगे पकड़े जाने लगें, तो इस देश के तीन चौथाई मंत्री, सांसद और विधायक जेल में होंगे भला, लोकतंत्र का ऐसा नाश कौन देशभक्त करना चाहेगा?
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